Wednesday, October 5, 2011

क्यूँ वो एहसास दिलाते हैं
की उन्हें मेरा ख्याल है 

ख्याल, जो आता है 
      और चला जाता है........

जो शायद एक लम्हा ठहरता भी नहीं 
या फिर बरसों तक  थमा रहता है 
जो दिल के किसी कोने में 
चुपचाप पड़ा सहमा सहमा रहता है 

वो ख्याल जिसके लिए, एक जिंदगी भी कम है
वोही दो लम्हों के लिए तरसता है 
कभी न बयां हो सकने की तड़प में 
कभी कभी नाराज़गी बनकर बरसता है

उनकी दो पल की फिक्र ,जो मेरे लिए है 
मुझे ख़ुशी देती क्यूँ है 
की शिकायत हो जाती है मुझे
ये मोहलत इतनी थोड़ी सी क्यूँ है 

और मुश्किल हो जाता है , उनका इंतज़ार 
छिन जाता है जो भी थोड़ा बाकी था 
धडकनों का करार .....

 बेसब्र हो जाती है बेसब्री 
     और फिर,
             मायूस हो जाती है ख़ुशी

जब सिर्फ ये एहसास लौट केर आता है
और लम्बी साँस सा सुकून दे जाता है 
की उन्हें दो लम्हा ही सही,
मेरा ख्याल तो आता है

ख्याल, जो आता है ,
और चला जाता है ....................

                                            - ऋतु

Sunday, July 24, 2011

ऐ शाम अभी मत जा 
वक़्त तू कुछ ठहर जा 
अभी मैंने तुझे निहारा ही कहाँ  है
केसरिया रूप तेरा मन में उतारा ही कहाँ  है

आ मेरे पास बैठ मुझसे बात कर 
न भूल पाऊं कभी ऐसी मुलाक़ात कर 
मौसम की ,महक की , मन की गुफ्तगू होने दे 
पर न जवाब माँग मुझसे न कोई सवालात कर

मेरी नाव समंदर में अकेली है तो रहने दे 
आज इसे हवा की दिशा में ही बहने दे
न रोक तू इसे न कोई कोशिश करूँ मै ऐसी 
समंदर की भी मंशा हो कोई तो पूरी कर लेने दे

चल डूब ही जाएँ तूफानों  का नाम लेकर 
या चलें कहीं दूर सपने तमाम लेकर 
या भागें मैदानों में जब तक दम में दम है 
क्यों मसरूफ हैं हम क्यों वक़्त इतना कम है 

आज हम फुर्सत में हैं फुर्सत ही रहे तो अच्छा है 
हर रोज़ हम सब भागते हैं आखिर हमें जल्दी क्या है
क्यों जिंदगी हम दोनों की ही वक़्त की गुलाम है 
यूँ पाबंदियों के बीच जीने में क्या रखा है ..........

                                                    - ऋतु

Tuesday, July 5, 2011

Once I got a mirror,
I picked it up
kept it in front of me
& looked into it.

I met a girl
she was beautiful
I had a rendezvous with her
oh! it was wonderful.

I came to know
it was me
peeping from inside
full of extacy

I began to love the mirror
as it used to fix my meetings with me
It told me who am I
and what I can be

Time passes & one day suddenly
mirror said "You r not so good"
I don't know whether it was
a lie or truth.

But somebody told me
mirrors don't lie
And I tried to change myself
I don't know why

None of my trials
made my mirror satisfied
now in-spite of telling anything
it began to hide

Then one day I realized
There is some dust in
my mirror's eyes

To clean it
I tried hard then harder
In haste,
I scratched badly, my mirror

A girl was there
perhaps me
peeping from inside
looking gloomy

I felt sorry
but it happened again and again
I decided to get separated from it
than to keep it & me in pain..

                                   - Ritu

Wednesday, June 8, 2011

 A truth...
 I have never told you
 Although it is nothing new
 But still I have never told you

 Words are mischievous
 they come & go back
 To frame them , so much time I take.
 Wish this time is not eternity,
 I request words not to play with me
 for god's sake.

 A truth...
 beautiful and surprising
 but neither saying is easy nor hiding

 A truth..
 U might have heard many times
 But trust me,
 it is my first time,
 to say....

 Words are unlimited, seconds are few.
 To reply, U r not compelled to.
 Don't take it otherwise, it is 
 just my feelings my view.

 Actually I...
 Ah! I just...........
 ................can't say.

 A truth...
 Till now I have never told U
 Although it is nothing new
 But still I have never told you

 And shall never tell u
 B'coz.........
 it is inexpressible.......
 that how much..
 I Love U. 


                         - Ritu

Sunday, May 8, 2011

तेरे बिना

तेरे बिना अजनबी ये शहर लगता है 
तेरे बिना मुश्किल हर सफ़र लगता है 
हम बहुत मज़बूत समझते थे खुद को 
पर तेरे बिना हर बात से डर लगता है 
हवाओं का रुख कुछ अजीब है  
कोयल का सुर भी अब मीठा नहीं 
सब कुछ वही अपनी जगह पर है 
बदला बदला सा मगर लगता है 
भीगेंगी पलकें अब की बरसातों में 
हम कह भी न सकेंगे बातों बातों में
तुम्हें देखने का चाव दिल को 
शाम-ओ-सहर लगता है
तुम यहीं हो यहीं कहीं हो  
ऐसा हर पहर लगता है 
तेरे बिना अजनबी ये शहर लगता है 
तेरे बिना मुश्किल हर सफ़र लगता है 

                                            - ऋतु

Saturday, April 30, 2011

जीने से डरते हैं

हम पैदा होते हैं, मर जाते हैं
उन्मुक्तता की आस लिए
जीते है खुद को तृप्त करने की 
एक अनबुझी सी प्यास लिए

कभी आदेश कभी बंधन 
कभी जिम्मेदारी कभी मजबूरी
इनके बीच कब होती हैं
दिल की ख्वाहिशें पूरी

कभी घड़ी के कांटे
बन जाते हैं लाचारी 
जिंदगी से एक एक पल की
कर रखी है उधारी 
  
तमन्नाओ को खुद ही हम 
दिल में दबाने लगते हैं
नकाब ख़ुशी का पहनकर 
हंसने हँसाने लगते हैं 

जिन लहरों से चाहत समंदर की होती है 
उन लहरों को समंदर में उठने ही नही देते हैं
ख्याल तो ख्वाहिशों की देहलीज़ तक पंहुचा देते हैं
पर खुद को हम भीतर घुसने ही नही देते हैं

चाहतों को दिल की कैद में 
हम तड़पने देते हैं
अरमान सिसकना चाहें तो 
उन्हें भी सिसकने देते हैं 

पर पूरा नही कर सकते इन्हें 
न ही ऐसा करते हैं 
जाने क्यूँ हम जिंदगी 
जीने से डरते हैं 

                         - ऋतु

Wednesday, April 20, 2011

तनहा

सितारों ने आज फिर आसमां सजा दिया
तनहा को और भी तनहा बना दिया 

नज़र आते नही फिर भी मीलों के फासले हैं
यकीन होता नही, कभी साथ हम चले हैं 

शोर इतना है की कुछ सुन नही पातीहूँ मैं
और सन्नाटा ऐसा की बातें कह नही सकती तुम्हें

साथ  होने का भ्रम है और साथ कोई नहीं  है
किस  से  कह  रही  हूँ सारी बात, कोई नही है

दोस्त था गर सच में तो अब  कहाँ गया 
तनहा को और भी तनहा बना दिया .....

यहीं गुम हुआ था शायद, यही खो गया था
जानने की कोशिश भी नहीं की कि क्या हो गया था

अब आलम ये है की दिल ही नही तलाशने का
क्यूंकि ...
जो खो गया है वो अब कभी मिलेगा नहीं
और जो मिलेगा उससे खोने  का एहसास मिटेगा नहीं....

तो फिर सितारों की तरह महफ़िल का हिस्सा बने
क्यूँ हर बार इस ही बात पर किस्सा बने

कि हम साथ होकर भी दूर हैं
और इस बात का भी हमें गुरूर है

                                        - ऋतु