Sunday, May 8, 2011

तेरे बिना

तेरे बिना अजनबी ये शहर लगता है 
तेरे बिना मुश्किल हर सफ़र लगता है 
हम बहुत मज़बूत समझते थे खुद को 
पर तेरे बिना हर बात से डर लगता है 
हवाओं का रुख कुछ अजीब है  
कोयल का सुर भी अब मीठा नहीं 
सब कुछ वही अपनी जगह पर है 
बदला बदला सा मगर लगता है 
भीगेंगी पलकें अब की बरसातों में 
हम कह भी न सकेंगे बातों बातों में
तुम्हें देखने का चाव दिल को 
शाम-ओ-सहर लगता है
तुम यहीं हो यहीं कहीं हो  
ऐसा हर पहर लगता है 
तेरे बिना अजनबी ये शहर लगता है 
तेरे बिना मुश्किल हर सफ़र लगता है 

                                            - ऋतु