Saturday, April 30, 2011

जीने से डरते हैं

हम पैदा होते हैं, मर जाते हैं
उन्मुक्तता की आस लिए
जीते है खुद को तृप्त करने की 
एक अनबुझी सी प्यास लिए

कभी आदेश कभी बंधन 
कभी जिम्मेदारी कभी मजबूरी
इनके बीच कब होती हैं
दिल की ख्वाहिशें पूरी

कभी घड़ी के कांटे
बन जाते हैं लाचारी 
जिंदगी से एक एक पल की
कर रखी है उधारी 
  
तमन्नाओ को खुद ही हम 
दिल में दबाने लगते हैं
नकाब ख़ुशी का पहनकर 
हंसने हँसाने लगते हैं 

जिन लहरों से चाहत समंदर की होती है 
उन लहरों को समंदर में उठने ही नही देते हैं
ख्याल तो ख्वाहिशों की देहलीज़ तक पंहुचा देते हैं
पर खुद को हम भीतर घुसने ही नही देते हैं

चाहतों को दिल की कैद में 
हम तड़पने देते हैं
अरमान सिसकना चाहें तो 
उन्हें भी सिसकने देते हैं 

पर पूरा नही कर सकते इन्हें 
न ही ऐसा करते हैं 
जाने क्यूँ हम जिंदगी 
जीने से डरते हैं 

                         - ऋतु

Wednesday, April 20, 2011

तनहा

सितारों ने आज फिर आसमां सजा दिया
तनहा को और भी तनहा बना दिया 

नज़र आते नही फिर भी मीलों के फासले हैं
यकीन होता नही, कभी साथ हम चले हैं 

शोर इतना है की कुछ सुन नही पातीहूँ मैं
और सन्नाटा ऐसा की बातें कह नही सकती तुम्हें

साथ  होने का भ्रम है और साथ कोई नहीं  है
किस  से  कह  रही  हूँ सारी बात, कोई नही है

दोस्त था गर सच में तो अब  कहाँ गया 
तनहा को और भी तनहा बना दिया .....

यहीं गुम हुआ था शायद, यही खो गया था
जानने की कोशिश भी नहीं की कि क्या हो गया था

अब आलम ये है की दिल ही नही तलाशने का
क्यूंकि ...
जो खो गया है वो अब कभी मिलेगा नहीं
और जो मिलेगा उससे खोने  का एहसास मिटेगा नहीं....

तो फिर सितारों की तरह महफ़िल का हिस्सा बने
क्यूँ हर बार इस ही बात पर किस्सा बने

कि हम साथ होकर भी दूर हैं
और इस बात का भी हमें गुरूर है

                                        - ऋतु

Wednesday, April 6, 2011

वही किस्सा वो कहानी,
वही सुना दो तुम.
नहीं रोए हैं कई दिनों से,
कुछ रुला दो तुम.

वो मेरी झुकती निगाहें,
वो तेरी पहली नज़र.
जैसे आँखों में गुजरा हो,
मीलों का सफ़र.
वो ही मदहोशी, वो पहली नज़र 
लौटा दो तुम.

वो घनी झुल्फों में उलझे हुए 
नादाँ लम्हें,
दिल की गहराई से निकले हुए 
वो प्यारे नगमे.
वो ही एहसास, वो जस्बात 
फिर जगा दो तुम.
वो दर्द-ऐ- दिल , वो मायूसी
वो तनहा राते.
वो कसक वो हर पहर 
बस तेरी यादें. 
हो सके तो मेरे ज़ेहन से
सब भुला दो तुम.   
                      
                           - ऋतु