उनके इंतज़ार में हम ,
नज़रें बिछाये बैठे रहे .
उनके दर पर अपने,
सर को झुकाए बैठे रहे.
उन्हें छूकर आती हवाओं को ,
पहलू में भरने के लिए ,
हम कई अरसे तक
बाहें फैलाये बैठे रहे.
उन मगरूर रास्तों को हम
आज भी तकते रहते हैं ,
जिन पर उनके कदमो के
निशां बाकी हैं .
उनकी तस्वीर को
दिल से लगा कर रखा है .
तभी तो बिरहा की इस
तड़प में भी जान बाकी है .
- ऋतु
नज़रें बिछाये बैठे रहे .
उनके दर पर अपने,
सर को झुकाए बैठे रहे.
उन्हें छूकर आती हवाओं को ,
पहलू में भरने के लिए ,
हम कई अरसे तक
बाहें फैलाये बैठे रहे.
उन मगरूर रास्तों को हम
आज भी तकते रहते हैं ,
जिन पर उनके कदमो के
निशां बाकी हैं .
उनकी तस्वीर को
दिल से लगा कर रखा है .
तभी तो बिरहा की इस
तड़प में भी जान बाकी है .
- ऋतु
n pucho is dil ki hasrat kya hai
ReplyDeleteye jaanta kha hai ki mhobbaat kya
yeto bas hui Tadpana janta hai
ise kya malume INTJAAR ki hakkikatt kya hai !
" U having grt Neha thought ever i listen, viewed, read "
उन मगरूर रास्तों को हम
ReplyDeleteआज भी तकते रहते हैं ,
जिन पर उनके कदमो के
निशां बाकी हैं .
उनकी तस्वीर को
दिल से लगा कर रखा है .
तभी तो बिरहा की इस
तड़प में भी जान बाकी है .
bahut khoob panktiya hain ye
sach main dil se likhi gai hain
ek dum sundar...
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